भारत मे विदेश से आ रही है Top University, कैसे ओर किसे मिलेगा Admission
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP)2020 की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने भारत में उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की तैयारियां तेज कर दी हैं. यूजीसी ने जल्द ही भारत में टॉप फॉरेन यूनिवर्सिटी के कैंपस खोलने की तैयारी की है, इसके लिए यूजीसी ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है. इसमें फॉरेन यूनिवर्सिटीज कैंपस को किन मानकों पर खोला जाएगा, कितनी फीस होगी, कैसे एडमिशन मिलेगा आदि बिंदु दिए गए हैं. यहां हम यूजीसी के इन नियमों को डिटेल में दे रहे हैं.
मंजूरी लेनी होगी UGC से
कोई भी फॉरेन हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (FHEI) भारत में UGC के अप्रूवल के बिना अपना कैंपस नहीं शुरू कर सकेगा. उन्हें इसके लिए कुछ मानदंड अपनाने होंगे.
केवल ओवर ऑल या Subject wise Top 500 रैंकिंग वाली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ही भारत में अपना कैंपस खोलने के लिए आवेदन कर सकती है.
- विदेशी शिक्षण संस्थान के मामले में आवेदक अपने गृह अधिकार क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित संस्थान होना चाहिए
Admission और fees स्ट्रक्चर
घरेलू या विदेशी छात्रों के एडमिशन के लिए फॉरेन हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (FHEI)अपने एडमिशन प्रोसेस और क्राइटेरिया खुद तय कर सकेंगे. वो फी स्ट्रक्चर भी तय करेंगे जो पारदर्शी और उचित होना चाहिए. एडमिशन शुरू करने के कम से कम 60 दिन पहले ये संस्थान अपने प्रॉस्पेक्टस वेबसाइट पर अपलोड करेंगे, जिसमें उनके फीस स्ट्रक्चर, रीफंड पॉलिसी, नंबर ऑफ सीट्स, योग्यता मानदंड आदि समेत पूरी दाखिला प्रक्रिया दी जाएगी.
OFFLINE MODE में होगी पढ़ाई छात्रों की
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार के अनुसार देश में कैंपस खोलने वाले विदेशी विश्वविद्यालय केवल ऑफ़लाइन मोड में फुल टाइम प्रोग्राम पेश कर सकते हैं. इन संस्थानों की प्रारंभिक स्वीकृति 10 वर्षों के लिए होगी और कुछ शर्तों को पूरा करने के अधीन नौवें वर्ष में रीन्यूअल किया जाएगा. ये संस्थान ऐसे किसी भी स्टडी प्रोग्राम की पेशकश नहीं करेंगे जो भारत के राष्ट्रीय हित या शिक्षा के उच्च मानकों को खतरे में डालता हो. इसके अलावा फंड का क्रॉस-बॉर्डर मूवमेंट फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट के मुताबिक होगा.
कैसे चुनी जाएंगी Feclaty
विदेशी संस्थान को अपने भर्ती मानदंडों के अनुसार भारत और विदेश से फैकल्टी और कर्मचारियों की भर्ती करने की स्वायत्तता होगी. उन्हें ये सुनिश्चित करना होगा कि इंडियन कैंपस में पढ़ाने के लिए नियुक्त विदेशी फैकल्टी उचित अवधि के लिए भारत में परिसर में रहे. विदेशी विश्वविद्यालयों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय परिसरों में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता उनके मुख्य परिसर के बराबर हो.नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (NIEPA) के एक सर्वे के अनुसार आठ विदेशी विश्वविद्यालयों ने भारत में अपने अंतरराष्ट्रीय परिसर स्थापित करने में रुचि दिखाई है. इनमें से पांच अमेरिकी विश्वविद्यालय हैं और एक-एक यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से है.
आर्थिक मदद दी जायेगी आरक्षण की जगह
इन संस्थानों को एक इवैल्यूएशन प्रोसेस के आधार पर पूर्ण या आंशिक आवश्यकता-आधारित छात्रवृत्ति प्रदान की जा सकती है. ये endowment funds, एलुमनी डोनेशंस, ट्यूशन रीवेन्यू आदि सोर्स से होंगे.
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