Adani-Hindenberg Line: अडानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की चिंता पर बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन - रेग्युलेटर्स/नियामक देख रहे हैं मामले को

 Adani-Hindenberg Line: अडानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की चिंता पर बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन - रेग्युलेटर्स/नियामक देख रहे हैं मामले को

निर्मला सीतारामन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन[Photo credit by Google]

Nirmala Sitharaman On Adani:अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च विवाद पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि देश के रेग्युलेटर्स के पास काफी अनुभव है और उन्होंने इस मामले को देख रहे हैं. आरबीआई बोर्ड की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने प्रेस कॉंफ्रेस को संबोधित करने के दौरान ये बातें कही है.


अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च के रिपोर्ट के जारी होने के बाद अडानी समूह के स्टॉक्स में भारी उतार-चढ़ाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा चिंता जाहिर किए जाने पर वित्त मंत्री से प्रेस कॉंफ्रेंस में सवाल पूछा गया था. जिसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के रेग्युलेटर्स बहुत ही अनुभवी हैं और अपने अपने डोमेन के सभी एक्सपर्ट्स हैं. केवल अभी नहीं वे हमेशा से सजग रहते हैं.

शुक्रवार 10 फऱवरी 2023 को अडानी समूह के मामले को लेकर दायर किए याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी से सोमवार तक जवाब मांगा है. कोर्ट ने सरकार और सेबी से पूछा कि शार्टसेलर्स हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी उठापटक से पैदा हुए हालात से छोटे निवेशकों को बचाने के लिए क्या कदम उठाये जाने की जरुरत है. कोर्ट ने पूछा कि क्या रिटायर्ड जज के अगुवाई में एक पैनल बनाया जा सकता है जो हालात की समीक्षा कर सके.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा:

कोर्ट के इस सवाल पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सेबी के संज्ञान में ये मामला है और वे इसे देख रहा है. हालांकि उन्होंने कोर्ट को बताया कि डिटेल्स रेस्पांस के साथ सोमवार 13 फरवरी 2023 को कोर्ट को पूरी बात बतायेंगे. दरअसल मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला ने कोर्ट की ओर चिंता जाहिर करते हुए रेग्युलेटरी मैकेनिज्म की समीक्षा किए जाने और उसे मजबूत किए जाने पर जोर दिया था जिससे हाल के दिनों में जैसा उठापटक देखने को मिला है ऐसे हालात में छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके.

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